Thursday, May 30, 2013

लो जी आए हैं

उम्र के हर कगार पर सपने सी आए हैं 
कुछ खो चले
कुछ पर पाओं रख उड आएँ हैं 

कहीं ठोकरे खाई,कहीं मारी
कभी बचपना तो कभी मासूमियत खो आएँ हैं 

कहीं प्यार करना सीखा ,
कहीं उन्हें खोता खुद को रोता हुआ देखा 
हमेशा के लिए कुछ नहीं होता
ज़िंदगी से ये सबक सीखते हुए आएँ हैं  

कहीं दिल खोल कर रख दिया 
कहीं बेजुबान रह गए 
ज़िंदगी के हर रंग को 
लो जी आए हैं

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